8 वें वेतनमान का सभी केन्द्रीय कर्मचारियों को बहुत दिन से इंतजार है। कोविड के बाद से बढ़ी हुई महंगाई के कारण उनका मासिक खर्चा निरंतर बढ़ा है साथ ही 2016 से अब तक आधुनिक सेवाओं के विस्तार में और खर्चे बढ़े हैं, किंतु वेतन में वृद्धि उस अनुरूप नहीं हुई है।

दिन प्रतिदिन अखबारों में आने वाली खबरों से उनमें वेतन बढ़ने की आशा जगती है तो कुछ सुकून मिलता है परंतु कभी कभी कोई ऐसी खबर भी आ जाती है जिससे वेतन बढ़ने की आशाओं पर विराम लग जाता है। कल संसद के शीतकालीन सत्र में राज्य सभा में पूछे गए प्रश्न संख्या 870 का ज़बाब भी केन्द्रीय कर्मचारियों पर कुठाराघात की तरह है।
राज्य सभा में सांसद श्री जावेद अली खान तथा
श्री रामजी लाल सुमन ने वित्त मंत्री से प्रश्न संख्या 870 में कुल 4 प्रश्न किए थे, जो निम्नलिखित हैं
(क) क्या सरकार मुद्रास्फीति की अप्रत्याशित प्रवृत्तियों को देखते हुए फरवरी, 2025 में अगले बजट के दौरान केन्द्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिए आठवें केन्द्रीय वेतन आयोग के गठन की घोषणा करने पर सक्रिय रूप से विचार कर रही है;
(ख) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं;
(ग) क्या केन्द्र सरकार की राजकोषीय स्थिति केन्द्रीय सरकार के कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि की अनुमति नहीं दे रही है. और
(घ) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है?
इनके ज़बाब में वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी द्वारा दी गई जानकारी इस प्रकार है।
(क) से (ख): वर्तमान में सरकार के पास केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए आठवें केन्द्रीय वेतन आयोग के गठन का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
(ग) से (घ): प्रश्न नहीं उठता।
साफ तौर पर कहा जा सकता है कि अभी सरकार का 8 वाँ वेतन आयोग गठित करने का कोई इरादा नहीं है। इस जवाब से यह भी नहीं समझा जाना चाहिए की सरकार 8 वां वेतन आयोग गठित नहीं करेगी अपितु आज दिनांक तक वित्त मंत्रालय में कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
आशा की जा सकती है कि सरकार जल्दी ही वेतन आयोग के गठन या मूल वेतन में महंगाई भत्ता मर्ज करने पर जल्दी ही कोई निर्णय लेगी जिससे केंद्र सरकार के लगभग 1 करोड़ वर्तमान और सेवानिवृत कर्मचारियों को राहत मिल सकती है।